Feb 13, 2023
फैज़ साहब साहित्य को साहित्य तक सीमित नही रखते है। उसे ज़िन्दगी के साथ जोड़ देते हैं। फैज़ को समझना आसान नहीं। फैज़ साहब के चाहने वालों में कितने ही लोग ऐसे हैं जो कुछ ही शेर समझेऔर कुछ समझ में नहीं आया। उनमें एक मैं भी हूँ। उनके कलाम के हर पहलू तक हमारी निगाह नहीं पहँच सकती है।